भील जनजाति

  भील जनजाति भील जनजाति भारत की प्रमुख आदिवासी जनजातियों में से एक है। ये जनजाति मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, अंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में निवास करती है। भील जनजाति की अपनी विशेष सांस्कृतिक विरासत और परंपराएं हैं, जो उन्हें अन्य जनजातियों से अलग बनाती हैं। भील लोगों की जीवनशैली मुख्य रूप से गांवों में आधारित है। उनका प्रमुख व्यवसाय कृषि है, लेकिन वे धान, गेहूं, जोवार, बाजरा, राजमा, और तिलहन जैसी फसलों की खेती करते हैं। इसके अलावा, उनका आर्थिक स्रोत है चिड़िया पकड़ना, जंगल से लकड़ी की खाद्य सामग्री तथा वन्यजीवों का शिकार करना। भील जनजाति की सामाजिक संरचना मुख्य रूप से समाजवादी है, जिसमें समानता और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दी जाती है। इसके अलावा, भील समुदाय में सांस्कृतिक गाने, नृत्य, और रंगमंच कला की अमूल्य धरोहर है। हालांकि, भील जनजाति के लोगों को अपनी शैक्षिक और आर्थिक स्थिति में सुधार की जरूरत है। सरकार को उनके विकास के लिए उपयुक्त योजनाओं की शुरुआत करनी चाहिए ताकी भील समुदाय के लोगों को समृद्धि और समानता का मार्ग प्र सशस्‍त ह

NOWGONG CHHATARPUR ( History of Nowgong)


नौगांव नगर का इतिहास



180  वर्ष पुराना शहर जो 36 रियासतों का संचालन करता था, लेकिन वर्तमान में यह उपेक्षा का शिकार है। नौगांव नगर का नाम आते ही हमारे जेहन में एक ऐसा दृश्‍य आता है जिसमें सैनिकों का जमावडा लगा रहा रहता है। नौगांव नगर को छावनी भी कहा जाता है, क्‍योंकि यह नगर अंग्रेज सैनिकों की छावनी का भी स्‍थान रहा है।

नौगांव नगर की स्‍थापना- NOWGONG  KA  ITIHAS

नौगांव नगर की स्‍थापना 1842 में अंग्रेजी हुकूमत के मिस्‍टर डब्‍लयू एस सिलीमैन ने एक बिग्रेड सेना के सैनिकों के ठहरने के लिए नौगांव छावनी के नाम से की गई है। देशी 36 रियासतों के बीच में होने के कारण अंग्रेजी  अफसरों ने इस जगह सबसे पहले नगर का नाम नौगांव छावनी पडा। सन 1842 में अंग्रेजी हुकूमत के सिलीमैन अधिकारी ने जैतपुर बेलाताल की रियासत में नयागांव, दूल्‍हा बाबा मैदान और जैतपुर बेेलाताल की ओर आक्रमण कर दिया जिसमें महाराज पारीक्षत पराजित हो गए तथा अंग्रेजी  हुकूमत बेलाताल तक हो गई। इस तरह से अब अंग्रेजी हुकूमत 36 रियासतों तक फैल गई। इन सभी रियासतों को कंट्रोल करने एवं उनसे लगान वसूलने के लिए नौगांव छावनी की स्‍थापना की गई थी। जिसके लिए ब्रिटिश हुकूमत ने छतरपुर के तत्‍कालीन महाराज प्रताप सिंह से 19 हजार वार्षिक किराए पर नौगांव में कुछ जमीन ली थी। इस जमीन पर अंग्रेजी अफसर डब्‍ल्‍यू एस सिलीमैन ने सन 1842 से सन 1861 तक सेना की एक टुकडी को इसी जमीन पर तम्‍बू तानकर रखा। इसके बाद इसी जमीन पर अंग्रेजी अफसरों ने नौगांव छावनी का पहला भवन निर्मित कराया। इसी भवन में अंग्रेजी हुकूमत के समय 36 देशी रियासतों पर प्रभावी नियंत्रण बनाये रखने के लिए अंग्रेजी सरकार का पोलिटिकल एजेंट रहता था। जहां 36 रियासतों के  राजा पॉलिटिकल एजेंट से मिलने एवं लगान एवं कर  चुकाने के लिए आते थे।

BUNDELKHAND KA NOWGONG -
                                                             बुन्‍देलखण्‍ड का नौगांव बडा ही विस्‍तृत है। उत्‍तरप्रदेश के हमीरपुर जिले में कैथा नामक स्‍थान में अंग्रेजों की छावनी 1829 ई० रही थी। जैतपुर के बुन्‍देला राज्‍य की सीमाऍं, इस छावनी के करीब होने के कारण कंपनी सरकार की सेनाऍं जैतपुर राज्‍य की जनता और व्‍यापारियों को परेशान- लूटपाट करती रहती थी। इस कारण जैतपुर और कंपनी की सेनाओं के बीच 1841 ई० में लडाई छिड गई थी। यह लडाई धीरे-धीरे गुरिल्‍ला युध्‍द के रूप लगातार चली थी। इस स्थिति में अंग्रेज राजनीतिज्ञों ने कंपनी सरकार की छावनी के लिए सुरक्षित जगह की तलाश की, जो उन्‍हें छतरपुर राज्‍य के पीपरी-नौगांव नामक स्‍थान में नजर आई। प्रतापसिंह परमार ने इस स्‍थान की भूमि को, अंग्रेजों को उन्‍नीस हजार रूपये वार्षिक किराए पर प्रदान कर दिया और इस प्रकार बुन्‍देलखण्‍ड के शासकों पर नियंत्रण के लिए  नौगांव में छावनी की नींव पडी। बुन्‍देलखण्‍ड की तत्‍समय की 34 रियासतों का नियंत्रण पोलीटिकल एजेंट नौंगांव में रहता था। नौगांव बुन्‍देलखण्‍ड  की राजधानी , देश स्‍वतंत्र होने के पूर्व बनी रही थी। विंध्‍यप्रदेश के निर्माण केे बाद कुछ समय के लिए नौगांव विंध्‍यप्रदेश की कमिश्‍नरी भी रही थी। वर्तमान में यह छतरपुर जिले की एक तहसील के रूप में है।

नौगांव की कहानी उसी की जुबानी- क्‍या खोया क्‍या पाया उसी की कहानी-


मैं नौगांव अपनी दुर्दशा एवं उपेक्षा पर स्‍वयं आंसू बहा रहा हॅू। आजादी के पहले मेरा स्‍वर्णिम समय चल रहा था। आजादी के बाद भी कुछ समय अच्‍छा रहा । आज से करीब 180 वर्ष पहले मैं एक मैदान के रूप मे खाली था। उसके बाद

अंग्रेजी हुकूमत ने मुझे नौगांव छावनी का रूप दिया । बाद में मुझे 36 रियासत पर कंट्रोल करने के लिए प्रयोग किया । उसके बाद जब मुझे विंध्य प्रदेश की राजधानी बनाया गया, जब मेरा स्वर्णिम समय था, पहले मुख्यमंत्री कामता प्रसाद सक्सेना का कार्यालय यहीं था। इसके बाद मध्य प्रदेश के गठन के बाद मेरा बुरा दौर शुरू हुआ,यहां से कई आफिस छतरपुर , सागर, सतना और भोपाल चले गए, मैं देखते देखते वीरान हो गया। राजधानी से मैं महज तहसील बन कर रह गया। इन 175 वर्षों में मैंने खोया बहुत कुछ है, लेकिन पाया कुछ नहीं है। आज मेरी स्थिति ऐसी है की स्वच्छता के मामले में प्रदेश में मेरा नंबर 78 वां हैं। कभी मैं स्मार्ट सिटी की श्रेणी में आता था लेकिन आज गंदगी से पटा पड़ा हूं।



अंग्रेजों के जुल्मों सितम

का गवाह है नौगांव।




 पॉलिटेक्निक कॉलेज में स्थित जेल में गलती करने वाले अपराधी को फांसी घर में लटकाया जाता था। थोड़ी सी गलती पर जेल के अंदर बनी काल कोठरी मे डाल दिया जाता था।

विंध्‍यप्रदेश के गठन के बाद 15 अगस्‍त 1947 से 11 अप्रैल 1948 तक नौगांव प्रदेश की राजधानी रहा। जिसमें आज के आदर्श प्राइमरी स्‍कूल में विधानसभा का सचिवालय हुआ करता था। इसी तरह सिंचाई विभाग  का मुख्‍यालय और चीफ कंर्ज्‍वेटर फॉरेस्‍ट के भवनों में आज सिविल अस्‍पताल संंचालित हो रहा है। टीबी अस्‍पताल में सर्जन ऑफिस संचालित होता था। एडीजे कोर्ट परिसर में हाईकोर्ट और सेसन कोर्ट का संचालन होता था। वर्तमान के सैल्‍स टैक्‍स कार्यालय में आर टी ओ मुख्‍यालय, कैनाल कोठी में डीआईजी निवास एवं कार्यालय, वर्तमान बस स्‍टैंड में सेक्रेटी आवास सहित सभी कार्यालय नौगांव में संचालित होतेे थे। नगर के पहले भवन जिसमें कमिश्‍नरी कार्यालय संचालित होता था उसका निर्माण 1861 में अंग्रेजी सरकार के अफसर मिस्‍टर डब्‍ल्‍यू एस सिलीमैन ने कराया था।


नौगांव स्‍मार्ट सिटी-  

180 वर्ष पहले देश का पहला स्‍मार्ट सिटी था नौगांव जिसकी परिकल्‍पना ब्रिटेन में की गई थी। तब ब्रिटेन के इंजीनियरों ने भारत का सर्वे किया था और नौगांव शहर को स्‍मार्ट सिटी के रूप में चुना गया तथा नौगांव का मैप ब्रिटेन में ही तैयार किया गया। उस समय यहां पर 192 चौराहे थे, वर्तमान में यहां पर 300 से भी ज्‍यादा चौराहे है। उस समय इस शहर को मिनी चंडीगढ कहा जाता था।

ब्रिटिश शासन की चर्चजहां अंग्रेज शासक आराधना करते थे।
आर्मी कॉलेज रोड पर सेंट पीटर रोमन कैथोलिक चर्च का निर्माण 1869 में सिटी चर्च का निर्माण 1905 में, नौगांव नगर के निवासी अंग्रेज हुकूमत द्वारा बनवायीं इमारतों का प्रयोग आज भी करते है।
ब्रिटिश शासन की जेल, वर्तमान में पॉलीटैक्निक कॉलेज की कार्यशाल बन गई। 
  
     
नौगांव से छतरपुर कितने किलोमीटर है - 20 किलोमीटर 

सागर संभाग मुख्‍यालय से नौगांव की दूरी - 200 किलोमीटर 

नौगांव से छतरपुर पिन कोड - 471201


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