भील जनजाति

  भील जनजाति भील जनजाति भारत की प्रमुख आदिवासी जनजातियों में से एक है। ये जनजाति मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, अंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में निवास करती है। भील जनजाति की अपनी विशेष सांस्कृतिक विरासत और परंपराएं हैं, जो उन्हें अन्य जनजातियों से अलग बनाती हैं। भील लोगों की जीवनशैली मुख्य रूप से गांवों में आधारित है। उनका प्रमुख व्यवसाय कृषि है, लेकिन वे धान, गेहूं, जोवार, बाजरा, राजमा, और तिलहन जैसी फसलों की खेती करते हैं। इसके अलावा, उनका आर्थिक स्रोत है चिड़िया पकड़ना, जंगल से लकड़ी की खाद्य सामग्री तथा वन्यजीवों का शिकार करना। भील जनजाति की सामाजिक संरचना मुख्य रूप से समाजवादी है, जिसमें समानता और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दी जाती है। इसके अलावा, भील समुदाय में सांस्कृतिक गाने, नृत्य, और रंगमंच कला की अमूल्य धरोहर है। हालांकि, भील जनजाति के लोगों को अपनी शैक्षिक और आर्थिक स्थिति में सुधार की जरूरत है। सरकार को उनके विकास के लिए उपयुक्त योजनाओं की शुरुआत करनी चाहिए ताकी भील समुदाय के लोगों को समृद्धि और समानता का मार्ग प्र सशस्‍त ह

Rich Dad Poor Dad; Rich Dad Poor Dad summary in Hindi

 Rich Dad Poor Dad

   Rich Dad Poor Dad summary in Hindi


मेरे पास  Rich Dad Poor Dad किताब को पढने को सुझानेे के लिए बहुत से कारण है-
Rich Dad Poor Dad फिलहाल किताब के बारे में


                     
किताब का नाम - “Rich Dad Poor Dad”
लेखक का नाम – Robert T Kiyosaki
प्रकाशक का नाम- मंजुल पब्लिशिंग हाउस

अनुवादक का नाम – डॉ सुधीर दीक्षित (हिन्दी अनुवाद)

प्रकाशन वर्ष -  2007
ISBN - 978-81-86775-21-9
मूल्‍य- 132/-(किंडल एडीशन)
सारांश – किताब पढने वाले हर सख्‍श को खुद अहसास हो गया कि यह किताब कितनी           महत्‍वपूर्ण है। मुझेे लगता है कि इस किताब को बहुत पहले पढ लेना चाहिए था, इस किताब को  पढते समय किताब ने आंखों को अपने वश में कर लिया। लेकिन आंखें तो कैसे वश में हो जाती उसने संकेत मस्तिष्‍क को दे डाले, फिर तो मस्तिष्‍क ने भरपूर साथ दिया। हर अंग मस्तिष्‍क के कंट्रोल हो गया और आंखों को किताब पढते रहने का संकेत मिल गया। आंखें थी कि रूकने का नाम ही नहींं ले रही और लगातार पढते जा रहीं, लगातार पढते रहने का नतीजा से निकला कि इस किताब की लिखी हर लाइन में लेखक नेे शब्‍दो का जादू डाला है जिससे पढने वाला हर व्‍यक्ति इस किताब और लेखक का कायल हो जाता है। लेखक ने इस किताब में पैसे की समझ को जिस प्रकार शब्‍दाेंं और लाइनों के माध्‍यम से समझाया है वह शायद किसी स्‍कूल, कॉलेज में न समझाया जा सकता है। 
हर आदमी की आत्‍मा का एक हिस्‍सा कमजोर और जरूरतमंद होता है, जिसे खरीदा जा सकता है। और एक हिस्‍सा इतना मजबूत और दृढ निश्‍चयी होत है कि जिसे कभी नहीं खरीदा जा सकता है। पैसे से दूर रहना उतना भी उतना ही बडा पागलपन है जितना कि उसके पीछे भागना। नौकरी दीर्घकालीन समस्‍या का अल्‍पकालीन समाधान है। डर आपको दरवाजे के बाहर धक्‍का देता है, और इच्‍छा आपको अंदर बुलाती है। आदमी की जिंदगी ज्ञान और अज्ञान के बीच होने वाला संघर्ष है। पैसा ही समस्‍या सुलझा सकता है तो ऐसे लोगों के लिए आने वाला समय बहुत परेशानी भरा होगा। बुध्दि से समस्‍याएं सुलझती है और पैसा आता है। 

दौलत किसी आदमी की वह योग्‍यता है जिसके सहारे वह आगे आने वाले इनते दिनों तक जिंदा रहे... यानि अगर में काम करना बंद कर दूं तो कितने समय तक जिंदा रह सकता हूं। गरीब और मध्‍यम वर्ग के ज्‍यादातर लोग आर्थिक रूप से पुरातनपंथी होते हैं। संपत्ति वह जो जेब में पैसे डाले और दायित्‍व वह जो जेब से पैसे निकाले। कर्मचारी कमाते है और टैक्‍स चुकाते हैं और फिर जो बचता है उससे अपना खर्च चलाते है। हम एक कानूनी समाज में रह रहे है। हर आदमी हमसे आपसे फायदा चाहता है। हम सभी के भीतर एक बहादुर प्रतिभाशली और जोखिम लेने वाला चरित्र मौजूद होता है। परन्‍तु हम सभी के भीतर चरित्र का दूसरा पहलू भी होता है जो अपने घुटने टेककर जरूरत पडने पर भीख भी मांग सकता है। पैसा असली नहीं है, पैसा वह है जिसके बारे में हम सहमत हो जायें। महान अवसरों को आंखें नहीं देख सकती है, उन्‍हें दिमाग से देखा जाता है। जो लोग असफलताओं से बचते हैं सफलता उनसे बचती है। दक्षताएं एक उद्योग दूसरे उद्योग में ट्रांसफर नहीं होती। दुनिया प्रतिभासंपन्‍न गरीब लोगों से भरी पडी है। जीतने का मतलब है हारने से न डरना। हर कोई स्‍वर्ग जाना चाहता है पर मरना कोई नहीं चाहता। ज्‍यादातर लोग अमीर होना चाहते है, परन्‍तु पैसा खोने के विचार से कांप जाते है। असफलता जीतने वालों को प्रेरणा देती है और हारने वालों को बर्बाद कर देती है। शंका और डर के कारण व्‍यक्ति संदेहवादी बन जाता है। हमारी दुनिया इसलिए तरक्‍की करती है जा रही है कि हम बेहतर जिंदगी जीना चाहते हैं। जिद । जिद अहंकार और अज्ञान का मिला- जुला रूप है। अनिच्‍छाओं के कारण ही इच्‍छाएं पैदा होती है। बाजार में भीड आमतौर पर सबसे बाद में आती है और हलाल हो जाती है। आप वह है जो आप है। आप वह बनते हैं जो आप पढते है। पैसे के लिए कडी मेहनत करना एक पुराना फॉमूला है जो गुफामानव के जमाने में पैदा हुआ था। अगर कोई व्‍यक्ति आत्‍म- अनुशासन की ताकत हासिल नहीं कर सकता तो बेहतर यही होगा कि वह कभी अमीर बनने की कोशिश न करे। आसान रास्‍ते अक्‍सर मुश्किल बन जाते हैं और मुश्किल रास्‍ते अक्‍सर आसान बन जाते है। अगर आपको कुछ चाहिए,तो आपको पहले कुछ देने की जरूरत है। जब तुम गर्मी दोगे, तब मैं कुछ लकडियां अंदर डालूंगा। संपत्ति के पुरस्‍कार को पाने के पहले आपको सक्रिय होना पडेगा।

निष्‍कर्ष  -  "लोगों को वित्तीय समस्याओं से जूझने का मुख्य कारण है कि वे स्कूल, कॉलेज में कई साल बिताते हैं लेकिन पैसे और निवेश के बारे में कुछ नहीं सीखते । इसका परिणाम यह होता है कि लोग पैसे के लिए काम करना सीख जाते हैं ... लेकिन उनके लिए काम करने के लिए कभी पैसा लगाना नहीं सीखते। 


परिचय-

“ Rich Dad Poor Dad” दो पिताओं की कहानी है, एक के पास डिग्री और डिप्‍लोमा का संग्रह है और दूसरा एक हाई स्‍कूल ड्रॉप- आउट है।
जब योग्‍य पिता की मृत्‍यु हो जाती है, तो वह अपने पीछे कुछ भी नहीं छोडता है, और यहां तक कि कुछ अवैतनिक बिल भी। स्‍कूल छोडने वाले पिता हवाई में सबसे अमीर लोगों में से एक बन जाएंगे और अपने बेटे के साम्राज्‍य पर गुजरेंगे। अपने पूरे जीवन के दौरान, पूर्ववार्ता कहती है, "मैं अपने आप को इस या उस के साथ व्‍यवहार करने के लिए बर्दाश्‍त नहीं कर सकता", जबकि बाद वाला कहेगा- " मैं खुद का इलाज कैसे कर सकता हूं।

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