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Nowruz

  Nowruz बहार का त्योहार - Nowruz                   सूरज की किरणों ने आसमान को चुम लिया, और आकाश में रंग भर दिया। प्रकृति ने अपनी नई सजावट के साथ अपनी दुलार बाँटी। और हम एक नए आरंभ की ओर बढ़ रहे हैं। यही है Nowruz का त्योहार - नया जीवन, नई उम्मीदें, और नई खुशियाँ।                Nowruz जिसे 'नव वर्ष' के रूप में भी जाना जाता है, परंपरागत रूप से फारसी और ईरानी समुदायों में मनाया जाता है। यह पर्सियन कैलेंडर के पहले दिन को चिह्नित करता है और साल का आरंभ करता है। नवरूज़ का महत्व विविधता, समृद्धि, और उत्साह का प्रतीक है।               इस त्योहार को मनाने के लिए लोग एक अद्वितीय परंपरागत प्रक्रिया अनुसरण करते हैं। इसमें रंग-बिरंगे कपड़े पहनना, मिठाईयों का सेवन करना, और परिवार और दोस्तों के साथ मनाना शामिल है।              Nowruz का मुख्य चिन्ह उन्मुक्ति और नई शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं, खासकर खुदरा रंगों से चित्रित करते हैं, और नए कपड़े पहनते हैं। इस त्योहार के दौरान, लोग अपने प्यारे व्यक्तियों को तोहफे देते हैं और उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।                

बुन्‍देलखण्‍ड की सीमाएं

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  बुन्‍देलखण्‍ड की सीमाएं:-   बुन्‍देलखण्‍ड शब्‍द से सीधा अर्थ निकलता है , बुन्‍देला ठाकुरों का प्रदेश । ठाकुर शब्‍द का प्रयोग राजपूतों की अपेक्षा  इस क्षेत्र विशेष में, अधिक स्‍वीकार एवं लोकप्रिय है। बुन्‍देलाओं के बीच बात-बात में  यह उद्घाटित किया  जाता है, कि अमुक जगह की ठकुरास अच्‍छी है ।इस कारण यहां ठाकुर शब्‍द अपना और अपनों के बीच अपनापन लिए हुए सा लगता  है । अत: यहां राजपूत की अपेक्षा बुन्‍देले, परमार और धंधेरों के लिए 'ठाकुर'  का संबोधन ही लिखा जाता है। इस क्षेत्र के लोग अपने नाम के पहले राजा लगाने की पुरानी परंपरा पर आज भी चलते है। वे कुंअरजू , दीवानजू, कक्‍का जू, आदि राजसी संबोधनों से पुकारा जाना पसंद करते हैं।                                         देश का मध्‍य भाग बुन्‍देलखण्‍ड वर्तमान में मध्‍यप्रदेश और उत्‍तरप्रदेश के बीच विभाजित है। मध्‍यप्रदेश के दतिया, टीकमगढ,छतरपुर, पन्‍ना, दमोह, सागर, जबलपुर, सतना, शिवपुरी और गुना  के जिले  के भाग व उत्‍तरप्रदेश के झांसी, ललितपुर, बांदा, हमीरपुर,जालौन, उरई , राठ, कालपी, महोबा, कालिंजर और चित्रकूट आदि तत्‍कालीन बुन्‍देलखण्‍ड