संत सिंगा जी महाराज
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संत सिंगाजी मंदिर:- संत सिंगाजी समाधि स्थल
संत सिंगा जी का परिचय:- निमाड के प्रसिध्द संत सिंगा जी का जन्म म.प्र. के बडवानी जिले के खजूरी गांव एक गवली परिवार में हुआ था । इनके पिता जी का नाम श्री भीमा जी गवली और माता जी का नाम गवराबाई था। इनके तीन संतान थी जिसमें बडे भाई का नाम श्री लिम्बाजी और बहिन का नाम किसनाबाई था।
संत सिंगा जी की चार संताने थी जो क्रमश: है - श्री कालू जी, श्री भोलू जी, श्री सदू जी और श्री दीप जी।
शब्द के पार सामरथ संत सिंगाजी महाराज:-
निमाड की संत परम्परा में संत सिंगाजी का स्थान सबसे उपर है। वे एक संत ही नहीं कवि-मनीषी भी थे। उनके साधना पथ में हुए अनुभवों को अपनी काव्यभाषा में कहना भी जानते थे। कहते हैं कि उन्होनें ग्यारह सौ पदों की रचना की थी। आज भी समूचे निमाड में गांव की भजन मंडलियां संत सिंगाजी के पद गाते हुए मिल जाती हैं ।
निमाडी साहित्यकार पद्मश्री पंडित रामनारायण उपाध्याय जी ने ''निमाडी का सांस्कृतिक इतिहास'' में एक जगह लिखा है- '' आज निमाड के किसी भी गांव चले जाइए, वहां पर आप सूर और तुलसी के पदों की तरह संत सिंगाजी के पद पाऐगें। निमाड में ऐसा कोई गांव ऐसा न मिलेगा जहां पर भजन मंडली न हो। और कोई भजन मंडली ऐसी न मिलेगी जिसे संत सिंगा जी के भजन याद न हो। मानो निमाड का संगीत संत सिंगाजी के भजनो के बिना अधूरा हो।'' संत सिंगाजी के पद निमाडी बोली के लिए अमूल्य धरोहर हैं।
संत सिंगाजी के परिवार में कोई आध्यात्मिक परम्परा नहीं थी। वे तो एक सामान्य गाय-भैंस चराने और दूध-दही का व्यापार करने वाले ग्वाले या गवली जाति के थे। पर अध्यात्म कोई वंशानुगत नहीं होता। किसी सामान्य व्यक्ति मे भी किसी समय कोई आंतरिक विस्फोट हो सकता है, जहां से उसका जीवन ही बदल सकता है। तब जीवन की धारा की बदलना स्वाभाविक है, जैसे बाल्मीकि जी के साथ हुआ वैसे ही संत सिंगाजी के साथ हुआ।
संत सिंगाजी अपने गुरू के लिए कहते हैं:-
गुरू बिन मारग कौन बताए
दूर को जना रहे अहंकारी, मारग नजर न आए।।
एक बूंद की रचना सारी, जाका सकल पसारा ।
सिंगाजी नळ भर नजरां देखा, ओ ही गुरू हमारा।।
निर्गुण संत सिंगाजी महाराज:-
अगर निमाड अंचल से संत सिंगाजी का नाम यदि हटा दिया जाए तो निमाड का जनजीवन सूना हो जाएगा। साढे चार सौ वर्षों से संत सिंगाजी निमाड की अस्मिता की पहचान बन गए हैं। जहां मां नर्मदा के निर्मल जल में निर्गुण ब्रह्म अवगाहन करने लगे। संत सिंगाजी ने समूचे निमाड और मालवा तथा महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों तक के किसान भाई ''हरिनाम की खेती खेडने लगे'' संत सिंगाजी ने निमाड के जीवन में कर्म और भक्ति का ऐसा मंत्र उनके अवचेतन तक में उतार दिया है कि निमाड के लोग चाहे सुख हो या दु:ख हो संत सिंगाजी को याद किये बिना नहीं रहते।
1. संत सिंगाजी की जीवनी का नाम क्या है -
- ''कहे जन सिंगा''
2. सिंगाजी के दोहे-
* चार खान चौरासी भरमों, जब नर देह धरी।
या देही में सुमरन करते, सोई बात है खरी।।
3. संत सिंगाजी की समाधि
संत सिंगाजी मूल समाधि स्थल |
4. संत सिंगाजी का मेला कहां लगता है-
- संत सिंगाजी का मेला, पिपलिया सिंगाजी, खण्डवा में लगता है।
5. संत सिंगाजी का जन्म कब हुआ था-
- संत सिंगाजी का जन्म संवत् 1574 वि. में खजूरी नामक ग्राम में हुआ जो वर्तमान में मध्यप्रदेश के पश्चिमी निमाड जिले में है।
6. खण्डवा से संत सिंगाजी समाधि स्थल की दूरी कितनी-
- खण्डवा से संत सिंगाजी समाधि स्थल की दूरी लगभग 50 कि.मी. है।
विशेष:- संत सिंगाजी समाधि स्थल किस जलाशय में स्थित है-
संत सिंगाजी महाराज की समाधि इंदिरा सागर के डूब क्षेत्र में स्थित है जो कि डैम के बैकवाटर में 72 फीट नीचे स्थित है मूल समाधि स्थल वर्ष में दो माह के लिए ही पानी से बाहर आती है । इस समाधि स्थल को परकोटे से सुरक्षित किया गया है और उसके उपर मंदिर का निर्माण किया गया है। इस स्थान पर 456 साल से अखंण्ड ज्योति जल रही है । यहां पर भक्तों द्वारा शुध्द घी प्रसादी के रूप में चढाया जाता है।
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टिप्पणियाँ
Jai Singa ji
जवाब देंहटाएंजय सिंगा जी महाराज
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