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गोंड जनजाति की परंपराएं और जीवनशैली

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 गोंड जनजाति की परंपराएं और जीवनशैली परिचय "गोंड जनजाति की पारंपरिक चित्रकला" गोंड जनजाति भारत की सबसे प्राचीन और विशाल जनजातियों में से एक है, जो मुख्यतः मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में निवास करती है। गोंड शब्द 'कोंड' से बना है, जिसका अर्थ होता है 'पहाड़ी लोग'। 🏠 रहन-सहन और निवास गोंड समुदाय आमतौर पर गांवों में समूहबद्ध होकर रहते हैं। उनके घर मिट्टी और बांस की सहायता से बनाए जाते हैं और छतें पुआल की होती हैं। दीवारों को 'दिगना' नामक परंपरागत चित्रों से सजाया जाता है। 🍲 भोजन और खान-पान गोंड जनजाति का खान-पान पूरी तरह प्रकृति पर आधारित होता है। वे मक्का, कोदो, कुटकी और महुआ का उपयोग अधिक करते हैं। महुआ से बनी शराब उनके सामाजिक उत्सवों का अहम हिस्सा है। 💍 विवाह और परंपराएं गोंड समाज में विवाह एक सामाजिक आयोजन होता है। दहेज प्रथा नहीं के बराबर होती है। विवाह से पूर्व लड़का-लड़की एक-दूसरे को पसंद कर सकते हैं। विवाह गीत, नृत्य और पारंपरिक वस्त्र पूरे समारोह को रंगीन बना देते हैं। 🎨 कला और संस्कृति गोंड चित्रकला ...

मेरी कहानी

 एक पल के लिए भूल जाओ, कि तुम कौन हो। सबसे जरूरी बात अपनी पहचान को पीछे छोडते हुए खुद को हर ख्‍याल से खाली कर लो। और थोडी देर के लिए सिर्फ 'मुझे' जी लो। 'मुझे जिंदगी से कभी कुछ नहीं चाहिए था'।  अगर मैं यह सोचता हूं, तो वो भी झूठ होगा। दरअसल वो मेरी जिंदगी का सबसे बडा झूठ होगा। मेरी हमेशा से खूब सारी इच्‍छाएं रहीं हैं। हां, यह अलग बात है कि मुझे अक्‍सर इन इच्‍छाओं को जाहिर करने के लिए शब्‍द नहीं मिल पाते । कभी मेरी आवाज धोखा दे देती, तो कभी मेरा दिल भारी हो जाता।  लेकिन,  जिंदगी में आखिर मैं  चाहता क्‍या हूं .  मैं आज  भी नहीं जानता। इसलिए, मझे जो चाहिए था और जिसकी मैं आज भी ख्‍वाहिश रखता हूं, उसके बारे में आज सब बताउंगा।  आज, मैं  सच कहूंगा: तुमसे और उससे भी ज्‍यादा जरूरी , खुद से।  मैं........मैं.......  मैं जीना चाहता हूं। हां। मुझे एक ही जिंदगी में कई जिंदगी जीनी है।  मैं अपने बारे में लिखना चाहता हूं और हर उस इंसान के बारे में लिखना चाहता हूं जिससे मैं कभी मिला हूं।  उस जिंदगी का सार लिख देना चाहता हूं जिसे वास्‍तव में...